कोरोना के किन लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए?

कोरोना के किन लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए?

सेहतराग टीम

कोरोना को लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल हैं। खासतौर पर कोरोना के लक्षणों को लेकर लोगों के मन सवाल उठता है। जैसे कि कोरोना के किन लक्षणों को गंभीरता से लेने की जरूरत है और कौन से लक्षण नजर आने पर ज्यादा परेशानी की बात नहीं है। आइए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं?

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कोरोना के किन लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए? 

मैक्स अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बलबीर सिंह बताते हैं, 'केवल बुखार-खांसी आती है, तो परेशानी की बात नहीं है, लेकिन अगर सांस फूलती है और बार-बार लगातार खांसी आ रही है, तो ये कोरोना के गंभीर लक्षण हो सकते हैं। दरअसल, ऐसा ऑक्सीजन लेवल कम होने पर होता है। ऑक्सीजन लेवल अचानक नीचे जाता है और ऐसे में कुछ भी हो सकता है।'

कभी-कभी कोरोना के मरीज का ऑक्सीजन लेवल अचानक गिर क्यों जाता है? 

डॉ. बलबीर सिंह बताते हैं, 'यह इतना अजीब वायरस है कि इसको समझना बहुत मुश्किल है। कई बार हमने देखा है कि व्यक्ति पॉजिटिव आया और उसमें लक्षण भी नहीं आए और वो ठीक भी हो गया। दूसरा है जिसे लक्षणों के आधार पर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है। तीसरा मरीज ऐसा है, जो आराम से घर पर होम आइसोलेशन में है, लेकिन अचानक ऑक्सीजन लेवल इतना नीचे चला जाता है कि एक घंटे में उसकी मौत हो जाती है। इसलिए कोमोरबिडिटी के मरीजों को अस्पताल में तुरंत भर्ती किया जाता है।' 

ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल कैसे करें?

डॉ. बलबीर सिंह के मुताबिक, 'ऑक्सीमीटर का उपयोग तभी करना चाहिए, अगर आपके अंदर कोरोना के लक्षण हैं या फिर टेस्ट पॉजिटिव आने पर करना चाहिए और उन लोगों के लिए जरूरी है, जिनको सांस की बीमारी रहती है।'

कुछ लोग टेस्ट कराने से कतरा रहे हैं, उनके लिए क्या कहेंगे? 

डॉ. बलबीर सिंह कहते हैं, 'जी हां, हमारे देश में कई पढ़े-लिखे लोग भी टेस्ट कराने से कतरा रहे हैं। उनको लगता है कि पॉजिटिव आने पर घर के बाहर होम आइसोलेशन स्टीकर लगा दिया जाएगा, तो लोग उनसे बात नहीं करेंगे। जबकि सभी को यह समझना चाहिए कि समय पर पता चल जाने से समय पर इलाज मिल जाएगा। टेस्ट नहीं कराने से आप अपने-आप को जोखिम में डाल रहे हैं।' 

कोरोना से ठीक होने में कितना वक्त लगता है?

डॉ. बलबीर सिंह के मुताबिक, 'कोरोना के दो प्रकार के मरीज होते हैं। पहले जिनको या तो लक्षण नहीं आते हैं या बहुत कम लक्षण आते हैं, वो 10-20 दिन में ठीक हो जाते हैं। दूसरे प्रकार के मरीज हैं, जिनको सांस में तकलीफ इतनी ज्यादा होती है कि वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे मरीज भगवान भरोसे होते हैं। उनको ठीक होने में महीनों भी लग सकते हैं। यह मत सोचिए कि वेंटिलेटर पर मरीज ठीक ही हो जाएगा। कई बार मरीज ठीक नहीं भी होते हैं।'

(साभार- अमर उजाला)

 

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